We aspire to preserve every person's memories in a vast database, ensuring that no moment, no story, and no essence of life is ever lost.
Every contribution shapes society; preserving them is essential. — Darshapran
Home
||
ARCHIVE OF MEMORIES
||
DIGITAL MEMORABILIA
||
DOCUMENTARIES
||
FAMILY TREE
||
FOR YOU
||
LIFEXPEDIA INSIDE
Archive of Memories
Enter Name/Address/Time peroid/related subject to search
Search
Recent Memories
प्रदीप नाग
बेघापारा गांव
उदलगुरी,असम
प्रदीप नाग
बेघापारा गांव
उदलगुरी,असम
प्रदीप नाग : न्यूनतम मज़दूरी आंदोलन की बुलंद आवाज़ और मज़दूर अधिकारों के निर्भीक रक्षक।
प्रदीप नाग ने न्यूनतम मजदूरी आंदोलन को न केवल आर्थिक मांगों तक सीमित किया, बल्कि इसे आदिवासी अस्मिता और मानवीय गरिमा के संघर्ष के रूप में प्रस्तुत किया। उनका सवाल, क्या श्रमिक केवल श्रम का साधन हैं, या वे सम्मान और समानता के अधिकारी भी हैं? पूरे असम में एक जनचेतना की लहर लेकर आया। उनके नेतृत्व में, हज़ारों श्रमिकों ने आवाज़ उठाई और इस आंदोलन ने एक नए बदलाव की शुरुआत की।
प्रदीप नाग : आदिवासी भाषा और संस्कृति संरक्षण संघर्ष के सजग प्रहरी और अस्मिता के संरक्षक।
प्रदीप नाग ने आदिवासी भाषाओं और संस्कृति की रक्षा के लिए लगातार संघर्ष किया। उन्होंने आदिवासी समुदायों को यह एहसास दिलाया कि उनकी भाषा और संस्कृति को न केवल संरक्षित किया जाए, बल्कि उन्हें समाज के मुख्यधारा में सम्मान भी मिले। उनका नेतृत्व आदिवासी अस्मिता के पुनर्निर्माण और राजनीतिक समानता के लिए प्रेरणा बन गया।
प्रदीप नाग : अनुसूचित जनजाति (ST) आंदोलन के दृढ़ नेतृत्वकर्ता और सामाजिक न्याय के सशक्त स्तम्भ।
प्रदीप नाग ने आदिवासी जनजातियों की सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक मर्यादा की रक्षा के लिए एक शक्तिशाली आंदोलन का नेतृत्व किया। यह आंदोलन आदिवासी समाज के लिए सिर्फ अपनी संस्कृति बचाने की नहीं, बल्कि उनके अधिकारों और समानता की लड़ाई थी। प्रदीप नाग का यह संघर्ष आज भी आदिवासी समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत बना हुआ है।
प्रदीप नाग : भूमि पट्टा अधिकार आंदोलन के संघर्षशील सेनानी और अधिकारों की आवाज़।
प्रदीप नाग के नेतृत्व में भूमि पट्टा आंदोलन ने आदिवासी समुदायों को उनके भूमि अधिकारों के लिए संगठित किया। यह आंदोलन न केवल कानूनी अधिकारों की लड़ाई थी, बल्कि आदिवासी समुदाय की पहचान और सांस्कृतिक अस्तित्व की रक्षा का भी महत्वपूर्ण प्रयास था।
प्रदीप नाग : AASAA के अध्यक्ष के रूप में आदिवासी संघर्ष की बुलंद आवाज
28 सितम्बर 1978 को असम के उदलगुरी जिले के बेघापारा गांव में जन्मे प्रदीप नागदेव आदिवासी समाज के निडर और समर्पित नेता थे। अध्यक्ष के रूप में उन्होंने संगठन को एक मज़बूत सामाजिक और राजनीतिक मंच में बदल दिया। उनके संघर्ष ने समुदाय को नई दिशा दी। 8 अप्रैल 2025 को गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में उनका निधन हो गया। उनका जीवन और नेतृत्व हमेशा प्रेरणा की मिसाल रहेगा।
প্ৰদীপ নাগ
বেঘাপাৰা গাওঁ
ওদালগুৰি,অসম
প্ৰদীপ নাগ
বেঘাপাৰা গাওঁ
ওদালগুৰি,অসম
আদিবাসী কণ্ঠ, আদিবাসী নেতা, শ্ৰমিক নেতা
প্ৰদীপ নাগ - এখন চিৰঞ্জীৱ সংগ্ৰাম, এটা অমৃত অনুপ্ৰেৰণা৷ অসমৰ সমাজ জীৱনৰ এজুপি বটবৃক্ষ প্ৰদীপ নাগ ৷ আদিবাসী সমাজ তথা শ্ৰমিক সমাজৰ অধিকাৰ আৰু মর্যাদা আদায় কৰাৰ যুঁজত এক শক্তিশালী আন্দোলনৰ নেতা প্ৰদীপ নাগ ৷ ভূমি অধিকাৰ, জনজাতীয় পৰিচয় আৰু মর্যাদা, নিম্নতম মজুৰি আন্দোলনৰ সবল নেতৃত্ব দিয়াৰ লগতে গীত-মাত, ভাষা-সংস্কৃতি, পৰম্পৰা আদি বিষয়তো সজাগ ভূমিকা লৈছিল ৷
সভাপতি, সদৌ অসম আদিবাসী ছাত্ৰ সন্থা
তেখেতে ২০১৪ চনত মজুৰি আন্দোলনৰ নেতৃত্ব দি শ্ৰমিক সমাজৰ সর্বাঙ্গীণ বিকাশৰ পণ লৈ সংগ্ৰামী জীৱন সুদৃঢ় কৰে ৷ আদিবাসী সমাজক অনুসূচিত জনজাতিৰ মর্যাদা আদায় কৰিবলৈ স্বজাতিৰ মাজত সজাগতা কার্যসূচী গ্ৰহণ কৰাৰ লগতে চৰকাৰ তথা বিভাগীয় কর্তৃপক্ষৰ ওচৰত জোৰদাৰ দাবী উত্থাপন কৰিছিল ৷
প্ৰদীপ নাগদেৱ, আদিবাসী সমাজৰ নির্ভীক, নিষ্ঠাৱান নেতা
১৯৭৮ চনৰ ২৮ ছেপ্টেম্বৰত ওদালগুৰি জিলাৰ বেঘাপাৰা গাঁৱত পিতৃ খ্ৰীষ্টফাৰ নাগ আৰু মাতৃ বেৰনিকা নাগৰ গৃহত সুযোগ্য পুত্ৰ হিচাপে জন্মলাভ কৰা প্ৰদীপ নাগদেৱ আছিল আদিবাসী সমাজৰ নির্ভীক, নিষ্ঠাৱান নেতা ৷ অতি পৰিতাপৰ বিষয় যে এই বর্ষ অর্থাৎ ২০২৫ চনৰ ৮ এপ্ৰিলত দিল্লীস্থিত গুৰুগ্ৰামৰ মেদান্ত চিকিৎসালয়ত চিকিৎসাধীন অৱস্থাত প্ৰদীপ নাগদেৱৰ দুর্ভাগ্যজনকভাৱে বিয়োগ ঘটে ৷
প্ৰদীপ নাগ, আদিবাসী কণ্ঠ, আদিবাসী নেতা, শ্ৰমিক নেতা
View Digital Souvenir
 
Give Suggestions
Privacy Policy
Partners
Supporters
Contact Us